India’s First Electric Highway In Hindi: जी हां, भारत ने बनाया इलेक्ट्रिक हाईवे जिस पर गाड़ियाँ अपने आप चलेगी| एक ऐसा हाईवे जिसपर फ़र्राटे भरते गाड़ियाँ खुद ही रिचार्ज हो जाएंगी।
इसका मतलब ये हुआ कि सड़क पर चलने वाली गाड़ियाँ खुद ही रीचार्ज हो जाएंगी। इन्हें फ्यूलिंग की जरूरत ही नहीं पड़ेगी और ये कोई आम हाईवे नहीं।
दरअसल भारत सरकार सोलर एनर्जी से चलने वाले इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने पर काम कर रही है और यह हाईवे दिल्ली से जयपुर के बीच बनाई जा रही है।
कहा जा रहा है कि इस हाईवे के बन जाने से फ़्यूल का खर्च तो कम होगा ही और इससे वातावरण में प्रदूषण भी काफी कम होगा।
आइए दोस्तों समझते है कि E-Highway Kya Hai?, Electric Highway Kaise Kam Karta Hain?, इससे आपको क्या फायदा होगा और दुनिया में कहाँ कहाँ इलेक्ट्रिक हाईवे पर काम चल रहा है?
भारत का पहला इलेक्ट्रिक हाईवे कहां है? (India’s First Electric Highway In Hindi)
India’s First Electric Highway In Hindi: आपने ट्रेन या मेट्रो तो देखी होगी और ये भी देखा होगा कि ट्रेन या फिर मेट्रो के ऊपर बिजली की तार लगी होती है।
ट्रेन के इंजन से ये तार एक आर्म के जरिये जुड़ा होता है जिससे पूरी ट्रेन को बिजली मिलती है और इसी के सहारे ट्रेन चलती है।
अब अगर हम आपसे कहें कि हाईवे पर चलने वाले बस या ट्रक जैसे वेहिकल भी अगर इसी तरह से बिजली के सहारे चलेंगे तो आपको ये जान कर हैरानी तो ज़रूर होगी। लेकिन आपको ये बता दे कि देश को जल्द ही पहला इलेक्ट्रिक हाईवे मिल सकता है।
भारत देश का सबसे पहला इलेक्ट्रिक हाईवे या कहें इ-हाईवे दिल्ली और जयपुर के बीच बनाया जाएगा। 200 किलोमीटर लंबे इस हाईवे को दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेसवे (Delhi To Mumbai E-Highway) के साथ ही एक नई लेन पर बनाया जाएगा।
ये रोड पूरी तरह से इलेक्ट्रिक होगी और इसमें केवल इलेक्ट्रिक व्हीकल ही चलेंगे। सरकार इसके लिए स्वीडन की कंपनियों से बात कर रही है। पूरी तरह तैयार होने के बाद ये देश का पहला इलेक्ट्रिक-हाईवे (E-Highway In Hindi) होगा।
आप बिलकुल साधारण शब्दों में समझिए की ये एक ऐसा हाईवे है जिसपर सिर्फ और सिर्फ इलेक्ट्रिक व्हीकल ही चलते हैं। ट्रेन की तरह ही इस हाईवे पर भी इलेक्ट्रिक वायर लगाए जाएंगे।
हाईवे पर चलने वाले व्हीकल्स को इन वायर से इलेक्ट्रिसिटी मिलेगी। इसे ही ये हाईवे यानि कि इलेक्ट्रिक हाईवे कहा जाता है। इस हाईवे पर इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए थोड़ी थोड़ी दूरी पर चार्जिंग प्वाइंट भी होंगे।
अगर आप सोच रहे हैं कि ये काम कैसे करता है तो इसे भी समझ लीजिए। दरअसल दुनिया भर में तीन अलग अलग तरह की टेक्नोलॉजी इलेक्ट्रिक हाईवे के लिए इस्तेमाल की जाती है।
पेंटोग्राफ मॉडल (Pentograph Model In Hindi)
पेंटोग्राफ मॉडल में सड़क के ऊपर एक तार लगाया जाता है जिसमें बिजली दौड़ती रहती है। एक पेंटोग्राफ के जरिए इस बिजली को व्हीकल में सप्लाई किया जाता है। इलेक्ट्रिसिटी डर्ट इंजन को पावर देती है या फिर वेहिकल में लगी बैटरी को चार्ज करती है।
कंडक्शन मॉडल (Conduction Model In Hindi)
कंडक्शन मॉडल में सड़क के अंदर ही तार लगा होता है, जिस पर पेंटोग्राफ टकराता हुआ चलता है। इसमें व्हीकल के पिछले हिस्से में पेंटोग्राफ लगा होता है जो सड़कों पर बिछे बिजली के तार से एनर्जी लेता है।
इंडक्शन मॉडल (Induction Model In Hindi)
इंडक्शन मॉडल में किसी तरह के तार का इस्तमाल नहीं होता। यहां इलेक्ट्रोमैग्नेटिक करंट के जरिए व्हीकल को इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई की जाती है। इसका इस्तमाल ज्यादा नहीं होता है।
आपको बता दें कि फिलहाल इंडियन रेलवे में पेंटोग्राफ मॉडल इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं माना ये जा रहा है कि इलेक्ट्रिक हाईवे के लिए भी यहां पेंटोग्राफ टेक्नोलॉजी का ही इस्तमाल किया जाएगा क्योंकि भारत सरकार इसके लिए स्वीडन की कंपनियों से बात कर रही है और स्वीडन में भी इसी पेंटोग्राफ टेक्नोलॉजी का इस्तमाल किया जाता है।
वैसे तो स्वीडन और जर्मनी में जो इलेक्ट्रिक व्हीकल इस्तमाल होते हैं उनमें हाइब्रिड इंजन होता है। यानि वे इलेक्ट्रिसिटी के साथ साथ पेट्रोल डीजल से भी चल सकते हैं। इस हाईवे की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमें व्हीकल को एक जगह से दूसरी जगह तक जाने में खर्च कम लगता है।
सेंट्रल मिनिस्टर नितिन गडकरी जी ने भी ये कहा था कि हाईवे से लॉजिस्टिक कॉस्ट में 60% की कमी आएगी। फिलहाल चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की एक बड़ी वजह ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट है। ऐसे में अगर ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट में कमी आई तो चीजें सस्ती हो सकती हैं।
वहीं ये हाईवे पूरी तरह से इको फ्रेंडली होंगे कि यहां व्हीकल को चलाने के लिए इलेक्ट्रिसिटी का इस्तमाल किया जाएगा, जो पेट्रोल डीजल के मुकाबले सस्ती होगी और वातावरण के लिए भी कम हानिकारक होगी। इससे हमारी पेट्रोल डीजल पर डिपेंडेंसी भी कम होगी। महंगी पेट्रोल डीजल की वजह से ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट भी बढ़ी है।
इस हाईवे पर लोगों को कई सुविधाएं मिलेगी। अगर कोई एक्सीडेंट यहां हो जाए तो 30 मिनट के अंदर ही लोगों तक मदद पहुंच जाएगी। वैसे अगर आप ये जानना चाहते हैं कि इंडिया में इस हाईवे को लेकर प्लानिंग कब हुई और ये कब तक बनकर तैयार हो जाएगा।
तो आपको बता दें कि नवंबर 2016 को सबसे पहले रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गड़करी जी ने कहा था, भारत में भी स्वीडन की तरह ही हाईवे हो सकता है। यानि इंडिया में हाईवे बनाने की प्लानिंग उस वक्त से ही शुरू हो चुकी थी।
इसके बाद सितंबर साल 2021 में नितिन गडकरी जी ने दिल्ली जयपुर के बीच देश के पहले हाईवे बनाने की अनाउंसमेंट भी कर दी। वैसे माना ये जा रहा है कि साल 2023 तक ये हाईवे बनकर तैयार भी हो जाएगा।
आप ये भी जान लीजिए कि स्वीडन, जर्मनी जैसे देशों में इनका इस्तेमाल लॉजिस्टिक ट्रांसपोर्ट करने के लिए ही किया जाता है।
पर्सनल व्हीकल जैसे कार जीप इलेक्ट्रिसिटी से चलती तो हैं, लेकिन इन्हें बैटरी से ऑपरेट किया जाता है। अगर आप का पर्सनल व्हीकल इलेक्ट्रिक है तो आप इस हाईवे का इस्तमाल कर सकते हैं।
आपकी सुविधा के लिए हर थोड़ी दूरी पर चार्जिंग स्टेशन बनाया जाएगा, जहां आप अपना व्हीकल चार्ज कर सकते हैं। जियो फेंसिंग सर्विस से लैस इस सड़क पर व्हीकल चोरी का डर नहीं के बराबर होगा। वैसे तो आप समझ गए होंगे कि नॉर्मल हाईवे से इलेक्ट्रिक हाईवे थोड़ा एडवांस हाईवे होगा।
इसे लेकर आपकी क्या राय है? हमें कमेंट सेक्शन में लिखकर जरूर बताएं। और भारत में हो रही एडवांसमेंट को जितना हो सके उतना ज्यादा शेयर करें। इससे हर भारतीय नागरिक का गौरव बढ़ेगा और जनता को भी लगेगा कि हां भारत अब आगे बढ़ रहा है, तरक्की कर रहा है।
इसे भी पढ़े: ई-कार का विश्लेषण